Wednesday, November 9, 2022

Bundi Utsav 2019 Hadoti Sanskrati kota

 हाड़ोती संस्कृति ..........Bundi Utsav 


बूंदी उत्सव 11 से 13 नवंबर 22 तक आयोजित किया जाएगा।

कोरोना काल से पहले 2019 के बूंदी उत्सव की चित्रमय झलकियां। इस बार भी भव्यता से होगा रुचि पूर्ण सांस्कृतिक आयोजन।

Tuesday, November 8, 2022

Patanpole ka mathuradeesh ji ka Mandir Kota.

 हाड़ोती संस्कृति ..............




सात पीठों में प्रथम पीठ, पाटनपोल का मथुराधीश जी मंदिर.....कोटा......

** वल्लभ संप्रदाय के सात उपपीठों में कोटा के मथुरेश जी का प्रथम स्थान है। कोटा के पाटनपोल में भगवान मथुराधीश जी का मंदिर  वैष्णव मतावलंबियों का प्रमुख तीर्थ है।मंदिर में गौशाला, बगीचा, कचहरी डोल तिबारी है, तो निज तिबारी और निज मंदिर के साथ ही कीर्तन तिबारी भी है, जिसमें अलग-अलग अनुष्ठान होते हैं। इस बड़ी प्राचीन हवेली में विशाल कमल चौंक किसी बड़े आयोजन में एकत्र जनसमुदाय को भी आसानी से समेट लेता है। सिंहपोल तथा हथियापोल भी दर्शनीय है। सिंहपोल पर जहां शेर बने हैं, वही हथियापोल में गज स्थापित हैं। मुख्यद्वार पर तीन सीढियां-राजस, तामस और सात्विक भावों का प्रतीक हैं। 

** इसी तरह मंदिर के विभिन्न हिस्सों में बने दरवाजों को पार कर मुख्य देवालय में पहुंचा जाता है। पूरे मंदिर का स्थापत्य वही हैं, जो नंदराय के घर का है, जिसे आज भी नंदग्राम और बरसाने में सुरक्षित रखा गया है।नाथद्वारा की तरह यह भी हवेली मंदिर है।

** मंदिर में अन्य वैष्णव मंदिरों की तरह तड़के मंगल भोग कुछ समय बाद श्रृंगार, फिर ग्वाल तथा उसके उपरान्त प्रातः की अन्तिम सबसे सुन्दर और ज्यादा लम्बी चलने वाली झांकी के दर्शन होते हैं। अपरान्ह 3 बजे बाद उत्थापन के दर्शन सायंकालीन दर्शनों की पहली झांकी होती है। इसके बाद भोग शाम के दूसरे दर्शन की संध्या आरती शाम की तीसरी झांकी होती है। शयन अन्तिम दर्शन होते हैं, जो काफी समय चलते हैं। मंगल भोग में दूध, मक्खन आदि का भोग लगाया जाता है। श्रृंगार के समय प्रभु को बहुमूल्य वस्त्राभूषणों से सजाया जाता है। उत्थापन के समय प्रभु को जगाने के लिए शंखनाद होता है। भोग में विभिन्न फलों व उच्चकोटि के प्रसाद का भोग लगाया जाता है। संध्या आरती का महत्व राजभोग के समान ही है। शयन के समय आरती होती है तथा सेवा भी ली जाती है।

** मंदिर में वर्ष भर चलने वाली इन सेवाओं के अतिरिक्त आधा दर्जन विशेष समारोह भी होते हैं। कोटा में भगवान मथुरेशजी के दिव्य विग्रह के विराजने से सम्पूर्ण भारत में कोटा दूसरे नन्दग्राम के नाम से विख्यात था। 

**  मंदिर की पृष्ठभूमि की प्राप्त जानकारी के मुताबिक श्री मथुराधीश प्रभु का प्राकट्य मथुरा जिले के ग्राम करणावल में फाल्गुन शुक्ल एकादशी संवत 1559 विक्रमी के दिन संध्या के समय हुआ था। महाप्रभु वल्लभाचार्य जी यमुना नदी के किनारे उस दिन संध्या समय संध्योवासन कर रहे थे तभी यमुना का एक किनारा टूटा और उसमें से सात ताड़ के वृक्षों की लम्बाई का एक चतुर्भुज स्वरुप प्रकट हुआ। 

** महाप्रभु जी ने उस स्वरुप के दर्शन कर विनती की कि इतने बड़े स्वरुप की सेवा कैसे होगी, इतने में 27 अंगुल मात्र के होकर श्री महाप्रभु, वल्लभाचार्य जी की गोद में विराज गये। इसके पश्चात् महाप्रभु जी के उस स्वरुप को वल्लभाचार्य जी ने एक शिष्य श्री पद्यनाभ दास जी को सेवा करने हेतु दे दिया।

** कुछ वर्षों तक सेवा करने के पश्चात् वृद्धावस्था होने के कारण श्री मथुराधीश जी को महाप्रभु जी के पुत्र गोस्वामी विट्ठलनाथ जी को पधरा दिया | श्री विट्ठलनाथ जी के सात पुत्र थे | उनमें ज्येष्ठ पुत्र श्री गिरधर जी को श्री मथुराधीश प्रभु को बंटवारे में दे दिया।

** संवत 1795 में कोटा के महाराज दुर्जनशाल जी ने प्रभु को कोटा पधराया, कोटा नगर में पाटन पोल द्वार के पास प्रभु का रथ रुक गया तो तत्कालीन आचार्य गोस्वामी श्री गोपीनाथ जी ने आज्ञा दी कि प्रभु की यहीं विराजने की इच्छा है । तब कोटा राज्य के दीवान द्वारकादास जी ने अपनी हवेली को गोस्वामी जी के सुपुर्द कर दी। गोस्वामी जी ने उसी हवेली में कुछ फेर बदल कराकर प्रभु को विराजमान किया तब से अभी तक इसी हवेली में विराजमान है। - डॉ.प्रभात कुमार सिंघल।

Keshavraipatan LA kartik mela kaishavRai Temple

 हाड़ोती संस्कृति...............




केशवरायपाटन में कार्तिक मेले की घूम.......

बूंदी जिले में चंबल नदी के किनारे स्थित केशवरायपाटन में मंगलवार 8 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के महास्नान से पूरे कार्तिक माह नदियों में स्नान के समापन के साथ करीब 15 दिनों तक विविध कार्यक्रमों के साथ चलने वाला मेला शुरू हो जाएगा। पावन चंबल नदी में हजारों श्रद्धालु डुबकी लगा कर देव दर्शन कर पुण्य कमाएंगे। 

** कोटा के रंगपुर से जाने वाले श्रद्धालु नौका की सवारी का भी भरपूर आनंद के साथ मनोहरी दृश्य का लुत्फ भी उठाएंगे। मेले में शहरी और ग्रामीण संस्कृति के मिलेजुले रंग देखने को मिलेंगे। कई प्रकार की दुकानें सजी हैं। खरीददारी करते ग्रामीण और झूलों पर मनोरंजन करते बच्चें मेले की रौनक बनेंगे। रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला मनोरंजन का बड़ा माध्यम होंगे। भक्ति, संस्कृति और मनोरंजन का अनूठा संगम मेले की अपनी विशेषता है। कोटा में दशहरे के मेले के बाद कोटा के समीप ही वर्ष भर का यह बड़ा मेला है।

** सदानीरा चम्बल नदी के किनारे बून्दी जिले के केशवरायपाटन कस्बे में स्थित केशवराय भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर न केवल हाड़ौती क्षेत्र वरन् राजस्थान में विख्यात है। यह मंदिर एक ऊंची जगती पर स्थित है तथा कला - शिल्प का बेहतरीन नमूना है। 

** करीब 60 फीट ऊंचा शिखरबंद इस मंदिर के चारों ओर देवी - देवताओं, अप्सराओं, पशु- पक्षियों आदि की सुंदर प्रतिमाएं बनाई गई हैं। मंदिर में कुछ सीढ़ियां चढ़कर सभागृह एवं अंतराल कारीगरीपूर्ण खंभों पर स्थित हैं। सीढ़ियों के दोनों ओर शिलालेख नजर आते हैं। सभागृह से गर्भगृह जुड़ा है जहां एक चबूतरे पर केशवराय जी की खड़ी मुद्रा में प्रतिमा विराजित है। प्रतिमा की सुंदरता और कारीगरी देखते ही बनती है। मंदिर के सामने ऊंचाई लिए एक जगती पर गरूड़ जी की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर परिसर में महत्वपूर्ण मृत्युंजय महादेव का मंदिर भी दर्शनीय है।

**  केशवराय जी का मंदिर अत्यन्त प्राचीन बताया जाता है। इस क्षेत्र को किसी समय जम्बू मार्ग और कस्बे को रंतिदेव पाटन कहा जाता था। बताया जाता है कि यहां चम्बल के तट पर रंतिदेव ने तपस्या की थी। यहां सती स्मारक के शिलालेख से मंदिर के बारे में इसके प्राचीन होने की जानकारी मिलती है। कहा जाता है कि परशुराम ने जम्बू मार्गेश्वर अथवा केशवेश्वर मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर का पुनः निर्माण राव राजा छत्रसाल के समय किया गया। यहां पांडवों की गुफा,उनके द्वारा स्थापित पंच शिवलिंग, हनुमान मंदिर, अंजनी मंदिर,यज्ञशाला एवं वराह मंदिर दर्शनीय हैं।

** सम्पूर्ण मंदिर परिसर एक किलेनुमा रचना की तरह दूर से नजर आता है। यहां लगभग 60 सीढ़ियों का एक मुक्त आकाशीय स्टेडियम भी बनाया गया है। यहीं पर दर्शक बैठ कर मेले के दौरान आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं। इन्हें पार कर मंदिर में पहुंचते हैं। यह मंदिर विशेष रूप से हाड़ौती क्षेत्र के श्रद्धालुओं का प्रमुख आस्था स्थल है। 

**  केशवराय जी के मंदिर पर यूं तो वर्षभर दर्शनार्थी आते हैं परंतु कार्तिक पूर्णिमा के अवसर यहां श्रद्धालु चम्बल में स्थान कर दर्शन करते हैं। इस अवसर पर एक बड़े मेले का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें पर्यटन विभाग भी अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाता है।

** मुनिसुव्रतनाथ जैन मंदिर: समीप ही श्री मुनि सुव्रतनाथ दिगम्बर जैन मंदिर अतिशय क्षेत्र स्थित है। केशवरायपाटन अतिशय क्षेत्र प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ भी है। यहां मंदिर के तलघर में भगवान मुनि सुव्रतनाथ की प्रतिमा पदमासन मुद्रा में स्थापित की गई है। यह प्रतिमा गहरे हरे पाषाण से निर्मित है तथा इसकी ऊंचाई 4 से 5 फीट है। यह तलघर 16 कारीगरी पूर्ण स्तम्भों पर बना है तथा मूल वेदी पर शिखर बनाया गया है। यहीं पर 13वीं शताब्दी की 6 अन्य प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं। इनमें भगवान पदमप्रभु की सुंदर प्रतिमा भी है।

**  बताया जाता है कि मोहम्मद गौरी ने इस मंदिर को भी तोडऩे का प्रयास किया तथा जब प्रतिमा के पैरों पर हथौड़ी व छैनी से प्रहार किया गया तो दूध की धारा बह निकली। इससे वे वापस लौटने को मजबूर हो गए। बहती हुई चम्बल नदी का प्राकृतिक दृश्य मंदिर से अत्यन्त मनोरम प्रतीत होता है। श्री मुनी सुव्रतनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र प्रबंधन समिति द्वारा यहां की व्यवस्थाओं का संचालन किया जाता है। यहां धर्मशाला में ठहरने व भोजन की व्यवस्था है। 

** इन हिंदू और जैन मंदिरों के साथ मेले में संस्कृति के बिखरे रंगों को देखने का यह एक सुनहरी मौका है। धार्मिक पर्यटन स्थल की छंटा चम्बल नदी के उत्तरी किनारे होने से लुभावनी प्रतीत होती है। यह स्थल जिला मुख्यालय बूंदी से 38 किलोमीटर दूरी पर है परन्तु कोटा सड़क मार्ग से 20 किलोमीटर और रंगपुर होकर नाव से जाने पर कोटा से करीब 10 किलोमीटर दूरी पर है। 

 - डॉ.प्रभात कुमार सिंघल।

Friday, November 4, 2022

Smart magnetic online marketing services for electronics showroom

 Hello Sir Greetings of the day From Kotapride KAS 


We are smart magnetic online Digital marketing And Website Development agency in kota (Rajasthan)


*Promote And Advertise Your Business Worldwide by Online And Digital Marketing...*

Www.smartenergicweb.in

#websitedesign kota kws 

जुड़िए हमसे और बदल दीजिए पुराने मार्केटिंग स्ट्रेटेजीज को। 

आज ही #websoftcreation के माध्यम से लाखों उपभोगताओं को बनाइए अपना स्थाई ग्राहक और मुनाफे को कर लीजिए दुगुना।


*All Digital Marketing And Website Development Solutions Available*

Www.digitalmarketingkota.in

🔥 Website Development 

🔥 Software development 

🔥Voice/Caller ID Technology

🔥Social Media Marketing

🔥 ISM €Advanced seo%/

🔥 Toll Free Number

🔥 many more..

*Call:- 9828036274*

Focus online Digital marketing for Business in India 

www.growdigitaltech.com


Sunday, October 30, 2022

Remembering the legendary #HomiJBhabha on his birth anniversary today. He contributed immensely to nuclear research in India. He will always be remembered as a hero. #HomiJehangirBhabha


 भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक, महान वैज्ञानिक डॉ• होमी जहांगीर भाभा जी एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने समाज को नई दिशा दी व देश को शक्ति सम्पन्न बनाया। डॉ• भाभा का मानना था कि विकासशील देश परमाणु ऊर्जा का प्रयोग शांतिपूर्ण ढंग से औद्योगिक विकास के लिए भी कर सकते हैं। 


डॉ• भाभा की दूरदृष्टि का ही परिणाम था कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ही आजाद भारत की  वैज्ञानिक एवम तकनीकी जरूरतों के अनुसार एक ऐसे ढांचे को स्वरूप मिला जिससे आगे वाले समय में देश के सामर्थ्य और सम्मान में वृद्धि हुई । जब दुनिया के कई देश परमाणु ऊर्जा जैसे शब्द से अपरिचित थे, उस समय डॉ भाभा के प्रयास से हमारे देश में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च और भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना हो गई थी।


उनके प्रयासों और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के कारण ही आज भारत दुनिया के परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की पंक्ति में खड़ा है। डॉ• भाभा की जयंती पर उन्हें नमन।

Friday, October 28, 2022

Nahargarh kila Baran kotapride kota

 हाड़ोती ऐतिहासिक स्थल...........50

नाहरगढ़ किला.......जिला बारां ......

बारां जिले के किशनगंज तहसील में मध्य प्रदेश की सीमा से लगा (दिल्ली के लाल किले की आकृति) में निर्मित यह एक मध्यम श्रेणी का किला है। इस किले में मुगल कालीन स्थापत्य कला का समावेश है।यह किला बारां जिला मुख्यालय से करीब 70 किमी.दूरी पर स्थित है। 

** किले के अन्तराभिमुखी प्रवेश द्वार से बांई ओर बाहर की तरफ एक आयताकार पाषाण पर फारसी भाषा का एक शिलालेख उत्कीर्ण है, जिसके अनुसार इस दुर्ग का निर्माण औरगजेब के समय कुतुबुद्दीन ने 20 जमादी उस्मानी 1090 (1678ई.) में करवाया गया था। कुतुबुद्दीन नाहरसिंह का पुत्र था तथा किशन गंज कस्बे का स्वामी था। बाद में इसने इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया था। यह किला खीची राठौड तथा हाड़ा राजपूतों के अधीन रहा। 

** दुर्ग का बाहरी भाग घड़े हुए लाल पत्थरों से बना हुआ है। किले की हदबन्दी वास्तु की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसके चारों ओर सुरक्षा की दृष्टि से अथाह गहरी तथा थोड़ी खाई (नहर) खुदवाई गई थी। दुर्ग के अन्दर महल, कुएँ, बावड़ी, बुर्ज व प्राचीन बने हुए हैं। 

** महल का एक कक्ष काँच जड़ित है तथा यहाँ श्रृंगार कक्ष (स्नानगृह) भी है। नाहरगढ़ परिसर में ही आशापूर्ण देवी का मंदिर तथा सूफी संत नेकनामशाह बाबा की मजार है। गढ़महल के चारों ओर तोपों और बन्दूकों को रखने के लिए उन्नत स्थल बने हैं। राठौड़ों द्वारा निर्मित मुगल काल का यह एक महत्वपूर्ण स्मारक है।

** नाहर गढ़ का यह किला बहुत ही आज भी अच्छी स्थिति में है परंतु यह अल्पज्ञात पर्यटक स्थल में है। सरकार इसके समुचित संरक्षण और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने पर ध्यान दे तो न केवल बारां जिले का वरण राजस्थान का महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने की व्यापक संभावनाएं हैं। 

** (कोटा कलेक्ट्रेट में मेरे एक मित्र लक्ष्मण सिंह हाड़ा जी ने इस किले पर एक अच्छी बुक लिखी है, जिसमें जिज्ञासु काफी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं )।

- डॉ. प्रभात कुमार सिंघल।


Thursday, October 27, 2022

Real estate builder's digitally prepaired marketing strategy for residential and commercial property

 Respected sir 

Kotapride  in kota provide -All in one Magical Digital marketing for Branding   to Attract customers increasing sales. 

Our five-star promotional strategy is to boost and focus on your growth,  

www.kotapride.blogspot.com

https://www.facebook.com/kosmakota


Best promotional package is Magical marketing Rs.35000 per month and Rs. 1lakh per Quarter with all in one smart social media Ads. 

Thankful for your trust in Kotapride magical marketing with magnetic strategies 

Www.digitalpride.in

Www.kotapride.in

Shivpath,  Kota 

9829036274