संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती पर शत–शत नमन। भारत प्राचीन काल से ही शान्ति, सौहार्द तथा विश्व बंधुत्व पर बल देता रहा है। हमारी सभ्यता और संस्कृति का प्रभाव विश्व के विभिन्न भागों में परिलक्षित होता है। 'वसुधैव कुटुम्बकम' की हमारी संकल्पना में प्रतिबिम्बित विश्व को एक परिवार के रूप में देखने की हमारी दृष्टि वैश्विक शांति और सह-अस्तित्व का आधार प्रदान करती है। इस दृष्टिकोण के विकास और इसे कायम रखने में संत रविदास जी जैसे संतों ने बहुत बड़ा योगदान दिया है।
संत रविदास जी के व्यक्तित्व, आत्म-साक्षात्कार से उपजी उनकी सरलता व उनके उपदेशों में सत्य की प्रखरता ने उन्हें आराध्य का स्थान प्रदान किया है। वे विश्व-बंधुत्व के मूर्तमान प्रतीक और समाज सुधार के प्रखर प्रवक्ता थे। भारतीय समाज को जागरूक बनाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने जातिविहीन सामाजिक व्यवस्था के सृजन एवं समतावादी समाज पर बल दिया।
आज जब पूरे विश्व के सामने अनेक कठिनाइयाँ हैं, शांति और समन्वय का अभाव है; तब रविदास जी की मानवतावादी और सबको साथ लेकर चलने वाली शिक्षाओं का अनुसरण करके ही हम एक ऐसे महान भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जहां जाति, पंथ, क्षेत्र, भाषा या अन्य किसी विभाजक कारक के आधार पर कोई भेदभाव न हो।
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